हिन्दू धर्म में दीपक जलाने और Guggal dhoop एवं गुग्गल की धूनी करने का बहुत अधिक महत्त्व है। सामान्य तौर पर धूनी दो तरह से दी जाती है। पहला गुग्गुल-कपूर (Guggal Kapoor) से और दूसरा गुग्गल-लोबान (Guggal Loban) मिलाकर जलते कंडे पर उसे रखा जाता है।
लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में समय की कमी एवं प्रचार की अधिकता के कारण आमतौर पर हम बाजार से लाई गई धूप का प्रयोग करते हैं। जिनमे हमे विभिन्न प्रकार की सुगंघ वाली धूप (Guggal Dhoop) मिल जाती है लेकिन इनके निर्माण में अधिकांशतः Chemical और गाड़ियों का बचा हुआ काला Oil प्रयोग किया जाता है।
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इसलिए हमने श्रीमंगलम गुग्गल धूप (Guggal Dhoop) का निर्माण किया है। यह पूर्णतः हर्बल है जिसमे किसी तरह का Chemical प्रयोग नही किया गया। गोमय और गुग्गल से बनी इस गुग्गल धुप के उपयोग से कई लाभ है।
यह पर्यावरण को शुद्ध कर प्रदूषणमुक्त करता है। इसके धुंए से वातावरण में फैले रोगाणु नष्ट होते है। गुग्गल धूप (Guggal Dhoop) की सुगंध से घर में सुख शांति समृद्धि रहती है। शरीर के रोग और मन के शोक मिट जाते हैं। गृह कलह और आकस्मिक दुर्घटना नही होती, घर के भीतर व्याप्त सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा बाहर निकलकर घर का वास्तुदोष मिट जाता है, ग्रह नक्षत्रों से होने वाले छुटपुट बुरे असर भी गुग्गल धूप (Guggal Dhoop) जलाने से दूर हो जाते हैं,
गुग्गल लोबान (Guggal Loban) से दी गई धूनी का ख़ास महत्त्व है। इसके लिए सर्वप्रथम एक कंडा जलाया जाता है। फिर कुछ देर बाद जब उसका अंगारा बन जाएँ, तब गुग्गल और लोबान बराबर मात्रा में लेकर उस अंगारे पर रख दिया जाता है और उसके आस-पास अँगुली से जल अर्पण किया जाता है। अँगुली से देवताओं को और अँगूठे से जल अर्पण करने से वह धूणी पितरों को लगती है। जब देवताओं के लिए धूनी जलाएं, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ध्यान करना चाहिए और जब पितरों को अर्पण करें, तब अपने पितरों का ध्यान करना चाहिए तथा उनसे सुख-शांति वैभव की कामना करें।
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किसी कारण से यदि रोज धूनी नहीं दे सकते तो अमावस्या और पूर्णिमा को धूनी अवश्य देनी चाहिए। पूर्णिमा को दी जाने वाली धूप देवताओं के लिए और अमावस्या को दी जाने वाली धूणी पितरों के लिए होती है। श्राद्ध पक्ष में पूरे 16 दिन धूनी करने से पितृदोष का समाधान और पितृयज्ञ भी पूर्ण होता है।
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प्रतिदिन घर मे Office में दुकान में श्रीमंगलम गुग्गल धूप (Guggal Dhoop) का उपयोग करें। इससे आपके व्यापार में वृद्धि होगी। गौशाला स्वावलम्बी बनेगी और गौरक्षा भी होगी!