आज (Today) एक नयी बात करते है , हाँ हाँ वही बात जिसपर आजकल लोग काफ़ी चर्चा कर रहे है जो मेरी ज़िंदगी (Life) करते करते दूर हो रहे थे अब वो फिर से उन्ही के क़रीब जाने की बात कर रहे है । ऐसा क्यू हो रहा है किसी ने नहीं सोचा बस एक ही सोच लेके सब एक ही रास्ते पर चल दिए आजकल तो न्यू ट्रेंड (New Trend) आया है की पैसे होना ही सब कुछ नहीं है जिसके पास पैसा है वो भी आत्महत्या (Suicide) कर रहा है पर अगर इस पर गहराई से देखा जाए तो क्या आप या हम में से कोई भी किसी के बारे में बिल्कुल (Absolutely) सही अंदाज़ा लगा पा रहा है हर कोई बस अपनी बात रख के लोगों को कही ना कही गुमराह (Astray) करने में लगा है जो आज (Today) ये कह रहे है पैसा ही सब नहीं है पर जो किसान (Farmer) पैसे की वजह ( Reason) से आत्महत्या (Suicide) करते है उनके बारे में तब हम अपनी सरकार (Government) के विरोध (Against) में रहेंगे ओर जिनके घर (Home) में खाने को नहीं होता उनको उस वक़्त किस चीज़ की ज़य्दा ज़रूरत होती है ? क्या इसका जवाब पैसा नहीं है में में ये नहीं बोल रही की पैसा ही सब है में बस ध्यान (Care) इस ओर लाना चाह रही हु की हर सिके के दो पहलू होते है ओर हम सिर्फ़ उसी पहलू पर ज़्यादा गोर करते है जिसपर लोगों की प्रतिक्रिया ज़य्दा आने की संभावना (Chance) होती है । आजकल सब डिप्रेशन (Depression) को लेके इतने ज़य्दा सोचने लगे है की उनको शायद (Maybe) यही मालूम नहीं की वो जिसको कम करने में लगे है ख़ुद ही उसके शिकार बनते जा रहे है। (With) ही वो अपनी जीवन की रोजमर्रा को इतना बदलाव (Change) करने में लगे है की वो ये भूल गए है की उनकी मूलभूत ज़रूरत क्या है ओर जिसको उसकी मूलभूत ज़रूरत समझ आजायेगी वो कभी भी डिप्रेशन (Depression) का शिकार हो ही नहीं सकता । आजकल फिर से लोग आपस में मिलने शुरू कर रहे है साथ ही कुछ तो सोशल मीडिया (Social Media) पर अपना नम्बर (Number) दे रहे है की अगर आप डिप्रेशन (Depression) में हो तो हमसे बात करे पर क्या ये तरीक़ा सही है? क्या हम ख़ुद को अगर जान ले की हम है क्या हम जो भी करते है क्यू करते है ओर हमारे करने से किसी का कोई नुक़सान (Loss) तो नहीं हो रहा तो क्या वहाँ हमें कभी भी किसी भी चीज़ के बारे में सोचना पड़ेगा ! बिल्कुल (Absolutely) भी नहीं क्यूँकि हम सोचते कब है जब उससे अपनी ज़िंदगी (Life) के साथ दूसरे की भी ज़िन्दगी (Life) पर कोई असर (Impact) पढ़ता है तभी तो सोचने का सिलसिला शुरू होता है वरना हम अपने जीवन में एसे व्यस्त रहते हे जेसे की हमें बस ओर कुछ नहीं चाहिए। अगर सही मायने में कहा जाए कि डिप्रेशन (Depression) क्या है? तो उसका जवाब कही ना कही ये कहा जा सकता है की ये सोचने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें हम ख़ुद को भूलकर बाक़ी सोच में गहराई (Depth) तक चले जाते है जहाँ से वापस आने के लिए मनोवैज्ञानिक (Psychologist) की सलाह की ज़रूरत (Need) पढ़ जाती है जहाँ पर वो पैसा लेके आपको आपसे मिलवाने की फिर से कोशिश (Try) लेते है । अब ये हमारे हाथ (Hand) में है हमें ख़ुद को जानना चाइए फिर विचार बनाने चाइए या फिर दूसरों के एक तरफ़ें विचार से ख़ुद को सोच में डाल देना चाहिए ।
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