यह कहानी एक Brahmarakshas Horror Story In Hindi की है। जिसे आप लोग जानते ही होगे। उस राक्षस का नाम है Brahmarakshas है। इस पर कई Stories बनाई जाती है और Rakshas के अनेक नाम होते हैं। जैसे की पिसाच, राक्षस, डायन, चुड़ैल आदि बहुत से नाम होते हैं। तो Dosto चलो मैं अपनी Story पर आता हूँ। हमारे गांव मैं एक Braahman रहते है। जिनका नाम बहादुर है। उनके घर से कुछ दूरी पर एक खेत था।
उस खेत में एक बहुत बड़ा Baragad ka Ped था। वह Baragad ka Ped बहुत पुराना था। कुछ समय के बाद उन्होंने उस खेत पर घर बनाने की सोची। पहले वाला घर बहुत छोटा होने की वजह से उन्होंने खेत पर घर बनाने की सोची। उन्होंने उस Baragad ke Ped को काटवाया और अपना घर बनवा लिया। कुछ दिन तो ठीक ठाक चला पर कुछ दिन बाद बहादुर बड़े परेशान रहने लगे। वह कभी पूजा करते और कभी नहीं।
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तो उनकी Wife ने उनके बदले स्वभाव को देख कर पुछा की तुम आज-काल पूजा नहीं करते हो और आज कल बदले-बदले से रहते हो। कभी बच्चो को डांटते रहते हो। तुम्हे हुआ क्या है? बहादुर के चेहरे पर Smile आई और वह कहने लगे मेरे घर को तोड़ कर अपना घर तो बना लिया है। और इसे क्या पूजा करने के लिए कह रही हो। मैं हितों भगवान् हूँ। इसे पूजा करने की कोई जरूरत नहीं हैं। वो कभी दांत मिजते कभी बड़े प्यार से बोलते कभी आंखें Red तो कभी सही हो जाते।
उनकी Wife के शक हो गए। की ज़रूर किसी का साया है और वो बाते ऐसे नही करते हैं। जैसे की उनके अंदर से दो लोग बोल रहे हों। तब उनकी Wife ने उनको बिठाकर हनुमान चालीसा पढने लगी। वो सोच रही थी अगर कोई होगा तो भाग जायेगा पर बहादुरजी पर उसका कोई असर नहीं पड़ा रहा था। वह एक टक लगाये देखे जा रहे थे। उनकी Wife काफी मंत्र और Gayatri Mantra पढ़े । तभी बहादुरजी की आंखें Red हुई और कहने लगे की मैं किसी से नहीं डरने वाला नही हूँ और तू क्या समझ रही है। मैं इसे ऐसे नहीं छोड़ने वाला हूँ ।
तब तक उसका छोटा बच्चा वहां आ गया। बहादुरजी ने उसे जोर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा लिया और ऐसा लग रहा था की उसके सिर को कच्चा ही चबा जाएगे। उसकी मम्मी बोली कि Bacche को छोड़ दो इसने क्या तुम्हारा बिगाड़ा है।
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बहादुरजी की पत्नी ने अपने बच्चे को अपनी तरफ खीच लिया। उसने फिर पुछा तुम कौन हो और मेरे Husband के अंदर क्यों आए हो। आप हमसे क्या चाहते हो? आप हो कौन? तब Brahmarakshas ने कहा की अगर अपना भला चाहती हो तो Baragad ke Ped लगाओ जितना भी हो सकें। पेड़ लगाओ फिर मैं बताऊँगा कि मैं कौंन हूँ और फिर मैं चला जाऊँगा। तब बहादुरजी की Wife ने एक सौ एक पेड़ बरगद के लगाये।
एक दिन उसकी Wife ने देखा की आज बहादुरजी Morning उठकर पूजा पाठ कर के आ चुके हैं। तब बहादुरजी के अंदर जो साया था उसने बोला मैं तुम्हारे Husband को आज छोड़ के जा रहा हूँ। तुम सदा सुखी रहो तुम्हारे आचार-विचार बहुत अच्छे हैं। मैं Brahmarakshas हूँ। वैसे मैं किसी को नहीं छोड़ता और न ही किसी से डरता हूँ।
तुम्हारे पति ने मेरे Baragad को काट दिया था। जिस पर मैं हजारों सालों से रह रहा था। मुझे गुस्सा तो आया पर मैं तुम्हारी अच्छाई के कारण मैंने इन्हें छोड़ कर जा रहा हूँ। तुम्हारे Husband को छोड़कर तब बहादुरजी अचानक सही हो गए। तब बहादुरजी की Wife की आँखों से आंसू निकल आए। तो Dosto अगर बुरे के साथ अगर तुम अच्छा करोगे तो एक दिन वह भी अच्छा हो जाता है।
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