ताँबा (Copper) धातु और Corona Virus को लेकर एक हैरान कर देने वाली बात सामने आ रही है।
कहा जा रहा है Tamba धारण करने वाले पर कोरोना का असर नहीं हो रहा
अगर किसी ने शुद्ध ताँबे की अंगूठी, कड़ा या पैंडेंट पहना हुआ है तो कोरोना वायरस उस पर बेअसर है।
ब्रिटेन के Maikrobaayolojee Risarchar Keevil का दावा है ताँबा (Copper) वायरसों का काल है
कीविल काफी समय से ताँबे का विभिन्न वायरसों पर प्रयोग कर रहे हैं उनका कहना है Covid 19 ही नहीं कोरोना परिवार के अन्य वायरस भी ताँबे के संपर्क में आते ही तुरंत नष्ट हो जाते हैं।
Medical university of South Carolina में Microbiology और Immunology के प्रोफेसर माइकल जी श्मिट कहते हैं कीविल का काम हमारे पूर्वजों द्वारा ताँबे के अधिक से अधिक प्रयोग के कारण को सत्यापित करता है।
इसे भी पढ़ें:- डिप्रेशन क्या है – What is Depression
खासकर भारत में तो ताँबे काr बहुत ही व्यापक प्रयोग मिलता है।
नदियों को साफ़ रखने के लिए उनमें ताँबे के सिक्के डालने से लेकर रसोई में ताँबे के बर्तनों के इस्तेमाल तक ताँबे के चमत्कारिक गुणों का उपयोग हुआ है।
कीविल का कहना है ताँबा (Copper) मनुष्य को प्रकृति का वरदान है।
प्राचीनकाल से ही मनुष्य ने इसकी जर्म्स और बैक्टीरिया नष्ट करने की प्रकृति को जान लिया था।
उनका मानना है यदि अस्पतालों, सार्वजानिक स्थानों और घरों के हैंडल और रेलिंग्स ताँबे के बनाये जाएं तो संक्रमणजनित रोगों पर बड़ी आसानी से विजय पाई जा सकती है।
सनातन में सूर्य (Sun) को सबसे बड़ा इम्युनिटी बूस्टर माना गया है और ताँबा (Copper) सूर्य (Sun) की धातु है
ताँबे को सबसे पवित्र और शुद्ध धातु भी माना गया है।
1918 में भारत में फ्लू महामारी से लगभग दो करोड़ लोग मारे गए थे, कहते हैं तब भी जिन लोगों ने ताँबा (Copper) पहना हुआ था उन पर इस महामारी का कोई असर नहीं हुआ।
ताँबा (Copper) धातु और कोरोना वायरस को लेकर एक हैरान कर देने वाली बात सामने आ रही है।
कहा जा रहा है ताँबा (Copper) धारण करने वाले पर कोरोना का असर नहीं हो रहा
अगर किसी ने शुद्ध ताँबे की अंगूठी, कड़ा या पैंडेंट पहना हुआ है तो कोरोना वायरस उस पर बेअसर है।
ब्रिटेन के माइक्रोबायोलॉजी रिसर्चर कीविल का दावा है ताँबा (Copper) वायरसों का काल है
कीविल काफी समय से ताँबे का विभिन्न वायरसों पर प्रयोग कर रहे हैं उनका कहना है कोविड 19 ही नहीं कोरोना परिवार के अन्य वायरस भी ताँबे के संपर्क में आते ही तुरंत नष्ट हो जाते हैं।
मेडिकल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर माइकल जी श्मिट कहते हैं कीविल का काम हमारे पूर्वजों द्वारा ताँबे के अधिक से अधिक प्रयोग के कारण को सत्यापित करता है।
इसे भी पढ़ें:- भूत प्रेत और बाधा – Ghost and Obstacle In Hindi
खासकर भारत में तो ताँबे का बहुत ही व्यापक प्रयोग मिलता है।
नदियों को साफ़ रखने के लिए उनमें ताँबे के सिक्के डालने से लेकर रसोई में ताँबे के बर्तनों के इस्तेमाल तक ताँबे के चमत्कारिक गुणों का उपयोग हुआ है।
कीविल का कहना है ताँबा (Copper) मनुष्य को प्रकृति का वरदान है।
प्राचीनकाल से ही मनुष्य ने इसकी जर्म्स और बैक्टीरिया नष्ट करने की प्रकृति को जान लिया था।
उनका मानना है यदि अस्पतालों, सार्वजानिक स्थानों और घरों के हैंडल और रेलिंग्स ताँबे के बनाये जाएं तो संक्रमणजनित रोगों पर बड़ी आसानी से विजय पाई जा सकती है।
सनातन में सूर्य (Sun) को सबसे बड़ा Immunity Booster माना गया है और ताँबा (Copper) सूर्य (Sun) की धातु है।
ताँबे को सबसे पवित्र और शुद्ध धातु भी माना गया है।
1918 में भारत में फ्लू महामारी से लगभग दो करोड़ लोग मारे गए थे, कहते हैं तब भी जिन लोगों ने ताँबा (Copper) पहना हुआ था उन पर इस महामारी का कोई असर नहीं हुआ।