आपने अक्सर ही डायबिटीज (Diabetes) के मरीजों को चीनी या मीठे को अपने खाने में से बाहर निकालते देखा होगा| लेकिन क्या सिर्फ बिना शक्कर की चाय पीने से और मिठाईयां कम या ना खाने से डायबिटीज पर नियंत्रण किया जा सकता है? आप शायद ऐसे भी कई लोगों को जानते हो जो कभी भी मीठे के बहुत शौकीन नहीं थे लेकिन फिर भी उन्हें डायबिटीज हो ही गई| आखिर शक्कर या शुगर के अलावा कौन से कारण है जिन से डायबिटीज होता है| वैसे तो हम इस बारे में अपने पिछले blogs मैं बात कर चुके हैं और आज हम डायबिटीज में क्या खाएं इस बारे में चर्चा करने वाले हैं| हमारे पिछले blog को आप यहां से पढ़ सकते हैं- डायबिटीज का एक लक्षण होता है बहुत ज्यादा भूख लगना |लेकिन डायबिटीज के मरीज हर तरह का खाना नहीं खा सकते| तो आखिर वह कौन सी चीजें हैं जिनका सेवन डायबिटीज के मरीज कर सकते हैं| यह जानने से पहले हम डायबिटीज से जुड़ी कुछ खास बातें जान लेते हैं|

डायबिटीज से जुड़ी कुछ खास बातें | Diabetes se judi kuch khaas bateen
डायबिटीज में क्या खाएं यह जानने से पहले डायबिटीज से जुड़ी कुछ खास बातें जान लेते हैं|
- 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज के सबसे ज्यादा मरीजों की संख्या की लिस्ट में भारत दूसरे नंबर पर है|
- 6 में से हर 1 डायबिटीज का मरीज भारतीय है|
- डायबिटीज के मरीजों की सबसे ज्यादा संख्या चाइना में है|
- डायबिटीज एक ब्लड ग्लूकोस के स्तर से जुड़ी समस्या है जिसके कारण ह्रदय, आंख वा गुर्दे से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं|
- डायबिटीज में ब्लड ग्लूकोस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता|
हमारी कोशिकाएं हमारे रक्त में बह रहे ब्लड ग्लूकोस का इस्तेमाल करके उर्जा उत्पन्न करती हैं जिसके कारण हम रोजमर्रा के कामों को कर पाते हैं| - इंसुलिन नाम का एक हार्मोन जो कि पैंक्रियास में बनता है, ब्लड ग्लूकोस को कोशिकाओं के अंदर पहुंचाने का काम करता है|
- डायबिटीज में या तो इंसुलिन कम बनता है या फिर इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं के नष्ट हो जाने के कारण इंसुलिन बन ही नहीं पाता|
- आमतौर पर डायबिटीज दो प्रमुख प्रकार का होता है: टाइप वन और टाइप टू
- ज्यादातर डायबिटीज के मरीज टाइप 2 की श्रेणी में आते हैं| डायबिटीज के सभी मरीजों में लगभग 95% मरीज टाइप टू डायबिटीज के होते हैं|
- मोटापा, ब्लड प्रेशर, पैंक्रियास से जुड़ी बीमारियां और अन्य कारणों से डायबिटीज होता है|
- टाइप वन डायबिटीज अक्सर अनुवांशिक होता है लेकिन इसके अन्य भी कारण हो सकते हैं| टाइप टू डायबिटीज के भी यही कारण होते हैं|
- इन्सुलिन डिपेंडेंट डायबिटीज यानी कि टाइप वन डायबिटीज में इंसुलिन का सीधा सेवन करना पड़ सकता है| जबकि टाइप टू डायबिटीज में ज्यादातर दवाइयां व अन्य मधुमेह नियंत्रण के उपायों को करके हम मधुमेह के स्तर पर नियंत्रण पा सकते हैं| डायबिटीज नियंत्रण उपायों के बारे में हम पहले ही बात कर चुके हैं|
https://hindi.blogout.net/diabetes-kese-control-karen/
डायबिटीज और सुक्रोज | Diabetes aur sucrose
बहुत सारे लोगों का यह मानना है की ज्यादा शक्कर खाने से डायबिटीज हो जाता है| लेकिन यह बात कितनी सच है? आपने बहुत सारे लोग ऐसे देखे होंगे जो बहुत ज्यादा मीठा खाते हैं लेकिन उन्हें डायबिटीज नहीं है उसी जगह पर ऐसे लोग जिन्हें मीठा खाना पसंद ही नहीं है वह डायबिटीज के मरीज हैं| तो आखिर ऐसा क्यों है? असल में डायबिटीज मीठा खाने से नहीं होता बल्कि जब रक्त में मौजूद ब्लड ग्लूकोस हमारी कोशिकाओं मैं नहीं जा पाता और ऊर्जा में परिवर्तित नहीं हो पाता तो ब्लड ग्लूकोस का स्तर हमारे रक्त में बढ़ जाता है जिसके कारण डायबिटीज होता है| पर इसका यह मतलब नहीं की शक्कर डायबिटीज का कारण नहीं हो सकता|

सुक्रोज यानी टेबल शुगर जिसे हम चीनी या शक्कर भी कहते हैं वह एक ग्लूकोस और एक फ्रुक्टोज के मॉलिक्यूल से मिलकर बना होता है| ग्लूकोस का इस्तेमाल हमारी कोशिकाएं ऊर्जा बनाने में करती हैं जबकि फ्रुक्टोज आगे चलकर या तो ऊर्जा बनाता है या फिर fat tissues में परिवर्तित हो जाता है| ज्यादा शक्कर का सेवन मतलब ज्यादा मात्रा में फ्रुक्टोज और ज्यादा fat tissues. यही fat tissues मोटापे का कारण होते हैं| और मोटापा डायबिटीज के एक प्रमुख कारणों में से एक है| हम जितना कार्बोहाइड्रेट अपने शरीर को दे रहे हैं उसमें से ज्यादातर अगर ऊर्जा में परिवर्तित हो जा रहा है तो हम डायबिटीज के खतरे से बच सकते हैं
सिर्फ शक्कर ही नहीं बल्कि ऐसा कोई भी खाना जो हमारे रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ाने के साथ-साथ मोटापा भी बढ़ाएं, उसका सेवन डायबिटीज के मरीजों को नहीं करना चाहिए| तो आखिर डायबिटीज में क्या खाएं?
डायबिटीज में क्या खाएं ? | Diabetes me kya Khae?
फैटी फिश | Fatty Fish
हम यह तो जानते ही हैं कि डायबिटीज में ह्रदय से संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है| फैटी फिश में ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है जो कि हृदय से संबंधी समस्याओं के लिए बहुत फायदेमंद होता है| इसके साथ साथ फैटी फिश में प्रोटीन भी होता है जो ब्लड शुगर को नियंत्रित रखने में मदद करता है और हमारी मांस पेशियों का भी ध्यान रखता है|

पत्ते वाली हरी सब्जियां | Leafy Green vegetables
हरी सब्जियां पौष्टिक तो होती हैं साथ ही साथ इनमें कैलोरी भी कम होती है| इनमें कार्बोहाइड्रेट कम होता है जिसके कारण इनका सेवन करने से हमारे ब्लड ग्लूकोस के स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता| और यह विटामिंस जैसे विटामिन सी और मिनरल्स से भरपूर होते हैं| इनमें एंटी ऑक्सीडेंट भी होता है जोकि हमारी आंखों से संबंधी समस्याओं में लाभदायक होता है और हमारी त्वचा का भी ख्याल रखता है|

दही | Yogurt
दही हमारी पाचन प्रणाली के लिए बहुत फायदेमंद होता है जिसके कारण यह वजन नियंत्रण करने में मदद करता है| यह ब्लड ग्लूकोज के स्तर को भी नियंत्रित रखने में मदद करता है| दही में भरपूर मात्रा में प्रोटीन होता है|

फल
फल जिनकी कैलोरीफिक वैल्यू कम हो और वह मिनरल मिनरल्स और विटामिंस से भरपूर हूं जैसे कि एवोकैडो, डायबिटीज के मरीजों को ऐसे ही फलों का सेवन करना चाहिए| सेब, एवोकाडो, केला, जामुन, चेरी, अंगूर, अंगूर, कीवी फल कुछ ऐसे फल है जो आप अपने डॉक्टर की सलाह से खा सकते हैं|

सीधे रूप से चीनी का सेवन ना करें | Avoid direct sugar intake
डायबिटीज के मरीजों को सीधे रूप से चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए| यह सिर्फ हमारे रक्त के ब्लड ग्लूकोज का स्तर ही नहीं बढ़ाता बल्कि यह हमारे मोटापे का भी एक बहुत बड़ा कारण है|
अंडा | Egg
अंडा डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत गुणकारी है| इसमें विटामिन और प्रोटीन तो होते ही हैं साथ ही साथ में अंडा हमारे शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करता है| इतना ही नहीं यह हमारी कोशिकाओं की इंसुलिन की संवेदनशीलता को भी बढ़ाता है जिसके कारण ब्लड ग्लूकोस हमारी कोशिकाओं में प्रवेश कर पाता है| 2019 की एक स्टडी में यह भी पाया गया कि जो लोग सुबह नाश्ते में अंडे का सेवन करते हैं उनका ब्लड ग्लूकोज का स्तर पूरे दिन नियंत्रित रहता है|

ऊपर बताई हुई किसी भी चीज का सेवन करने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि कहीं आपको इनमें से किसी चीज से एलर्जी तो नहीं है| यदि आपको किसी चीज का सेवन करने से किसी भी प्रकार की समस्या हो रही है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और बिना उनकी सलाह के दोबारा उस चीज का सेवन ना करें| खानपान के साथ-साथ नियमित रूप से व्यायाम, योगा और अपने आप को शारीरिक रूप से सक्रिय रखना भी उतना ही जरूरी है| सही मात्रा में पानी पिए और नियमित रूप से अपनी दवाओं का सेवन करें|